मेरे एक ख़ास मित्र हैं, मुलाक़ात उनसे केवल एक ही बार हुई और वह भी आज से लगभग चार वर्ष पहले, साल 2015 में आसाम के घने जंगलों में | मुलाक़ात केवल एक बार की, फिर भी इतनी ख़ास कि आज तक हैं साथ | अभी भी समय-समय पर फ़ोन पर संपर्क बनाए रखते हैं | बात अजीब सी है पर है सच | कारण केवल इतना है कि उनके शौक और काम-धंधें में छत्तीस का आंकड़ा है | उनकी रुचियाँ बहुत ही कोमलता से भरी हैं , शायद यही एक वजह है जो मुझे उनसे जोड़ती है | मुझे पता है आप को अभी भी नज़ारा पूरी तरह से साफ़ नहीं हुआ होगा तो चलिए थोड़ा तफ़सील से बात करी जाए |
मेरे हमउम्र और सिनेमा के शौक़ीन लोगों को शायद ध्यान हो, आज से लगभग तीस साल पहले 1970 में देवानंद साहब की फिल्म आयी थी – प्रेमपुजारी | वह कहानी थी एक ऐसे कोमल कवि ह्रदय इंसान की जो अपने फ़ौजी पिता की इच्छा को पूरा करने की मजबूरी लिए सेना में भर्ती तो हो जाता है पर अपने आपको उस माहौल और वातावरण में ढाल नहीं पाता और अंत में - सेना की नौकरी को छोड़ देता है | दिल में देश-प्रेम का जज़्बा लिए वह अपने ही तरीके से देश के दुश्मनों का सामना करता है | आज जब अपने उस दोस्त- विपिन के बारे में लिखने बैठा तो मुझे यह कहानी भी बरबस याद आगई |
|
विपिन वत्स |
विपिन वत्स का बचपन भी कुछ ऐसे ही मिलते जुलते वातावरण में बीता | पिता दिल्ली पुलिस में रहे | दिल्ली विश्वविद्यालय से पढाई- लिखाई पूरी करने के बाद खुद भी दिल्ली पुलिस में आ गए | बाद में केन्द्रीय ओद्योगिक सुरक्षा बल (सी.आई.एस.एफ ) में भी काम किया | लेकिन वहां भी ज्यादा समय तक मन नहीं रमा | एक नामी गिरामी अस्पताल और बेनेट कोलमेन जैसी कंपनी में भी अपनी सेवाएं दी | फिलहाल सीमेंट कार्पोरेशन ऑफ़ इण्डिया की फेक्ट्री , बोकाजान (असम) में कार्मिक और प्रशासन विभाग के प्रमुख हैं | विपिन ने पुलिस और सी.आई.एस.एफ जैसे कठोर वातावरण में भी काम किया वहीं अस्पताल की संवेदनशील दुनिया को भी बहुत नज़दीक से अनुभव किया | उनकी प्रतिभा छिपी है उस पारखी नज़र और संवेदनशीलता में जो कविता के रूप में जन्म लेती है | बहुत ही सरल भाषा में लिखी उनकी कविताएं सीधे दिल में उतर जाती हैं | लिखा तो उन्होंने बहुत है पर बानगी के लिए एक कविता खास आप के लिए ; गुज़ारिश
आप समझ सकते हैं यह कविता उस व्यक्ति की कलम से निकली है जिन हाथों में कभी बंदूक और रिवाल्वर होती थी और आज भी जो ईंट , पत्थरों और सीमेंट की दुनिया में बसर कर रहा है | हाथों में चाहे कुछ भी रहा हो पर उस शख्स के अन्दर हमेशा से ही बसा है एक प्यारा सा दिल और उस दिल में कोमल भावनाएं | ईश्वर से कामना है विपिन के कोमल हृदय, भावनाएं और कल्पना की उड़ान सदा ऐसे ही अठखेलियाँ करती रहे और उनमें से निकलती रहें ऐसी ही दिल को छू लेने वाली कवितायें |
|
विपिन वत्स |
Ha Ha Ha ha ha love you sir I really appreciate for your valuable time
ReplyDeleteSuch a marvelous short biography in simple words . Awesome
ReplyDeleteA poem infuses sensitivity in a person. If poetry prevails among policemen they will serve the people better than they are known to do.
ReplyDeleteIn this hectic life and running around all day, your creative pieces are like a breath of fresh air which makes us pause for a while and immerse in your beautiful stories. Best wishes to Mr. Vipin. Keep the poet within you alive forever :)
ReplyDeleteNicely framed experience in beautiful words and interesting lines. Keep it up Uncle and stay blessed 🙏
ReplyDeleteपारखी नज़र। खदान कोई भी हो। वाह वाह, वाह वाह। क्या कहने।
ReplyDeleteKudos to you for bringing to our knowledge that such beautiful persons are working in CCI.
ReplyDelete