मोहित तिवारी अपने आप में एक जीते जागते दिलचस्प व्यक्तित्व हैं । देश के एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल में कार्यरत हैं । उनके शौक हैं – साहसिक यात्राओं पर घूमना और उन पर व्लाग बनाना । मानवीय पहलू को दर्शाता उनका एक रोचक संस्मरण आपके लिए प्रस्तुत ।
भूला – भटका राही
मोहित तिवारी
बात ज्यादा पुरानी भी नहीं है । अपनी भागदौड़ की ज़िंदगी से कुछ पल आराम और चैन के तलाशने के लिए ऑफिस से छुट्टी लेकर अक्सर मैं पहाड़ों का रुख कर लेता हूँ । मेरे साथ होती है मेरी प्यारी जीप थार और उससे भी प्यारी जीवन -साथी विशुमा । विशुमा के बारे इतना बता दूँ कि वह भी मेरी तरह बहुत अच्छी- साहसी बिंदास बाइकर, ट्रेकर और घुमक्कड़ हैं । हम दोनों ने हजारों मील का सफर एक से एक खतरनाक और दुर्गम जंगल और बियाबान पहाड़ों से गुजरते हुए किया है ।
उस बार भी ऐसा ही हुआ । मेरी मंजिल थी लगभग 1500 किलोमीटर का सफर दुर्गम रास्तों को पार करते हुए लेह तक पहुंचना । उस दिन मौसम बहुत ही खराब था । मैं उस समय लगभग 16500 फुट की ऊंचाई पर हिमाचल प्रदेश के शिनगुला दर्रे के पास से गुजर रहा था । बारिश के साथ साथ बर्फबारी भी हो रही थी । ऐसे समय में सड़क के किनारे सेकड़ों फुट गहरी खाई थी और खराब मौसम के कारण कुछ सामने ठीक से कुछ नजर भी नहीं आ रहा था । ड्राइविंग सीट पर लंबे समय तक बैठे- बैठे कमर भी अकड़ चुकी थी । थोड़ी सी राहत पाने के इरादे से जीप सड़क किनारे लगा दी और नीचे उतर कर अपनी सुस्ती उतारने के लिए हवा में गहरी साँसे लेनी शुरू कर दीं । गाड़ी से उतारने के बाद भी लग रहा था जैसे चारों ओर के पहाड़ गोल-गोल घूम रहे हैं । पहाड़ों पर जब भी आप अत्याधिक ऊंचाई पर होते हैं तब आक्सीजन की कमी के कारण दिमाग पर भी असर पड़ता है और अक्सर भ्रमित करने वाले दृश्य दिखते हैं । अभी मैं अपने को संभाल ही रहा था कि अचानक पीछे से एक आवाज सुनाई दी । मुड़ कर देखा तो डर के मारे चीख ही निकल गई । सड़क के किनारे एक जे सी बी मशीन खड़ी थी जिसके नीचे से कीचड़ और धूल – मिट्टी में सना हुआ एक शरीर धीरे -धीरे मेरी ओर रेंगते हुए बढ़ रहा था ।
पहले मुझे लगा कि इस सुनसान इलाके में यह कोई भूत तो नहीं आ गया । फिर यह भी लगा कि थकान और आक्सीजन की कमी के कारण मेरे दिमाग का वहम भी हो सकता है । अब तक मैं हिम्मत जुटा कर अपने आप को व्यवस्थित कर चुका था। ध्यान से एक बार फिर उस डरावनी आकृति को देखा तो थोड़ी तसल्ली हुई – वह एक इंसान ही था जो बार – बार सहायता की गुहार लगा रहा था ।वह घायल और बीमार लग रहा था और चलने की हालत में भी नहीं था । पीछे खड़ी जे सी बी मशीन के ऊपर एक हेलमेट रखा था । अपनी टूटी -फूटी हिन्दी में जो उसने बताया उसे सुन कर मैं सन्न रह गया । वह एक दक्षिण भारतीय युवक था जिसे मोटर साइकिल पर लंबी-लंबी यात्रा और सैर -सपाटा करने का शौक था । इस रास्ते से गुजरते हुए पिछले दिन के तीन बजे उस की मोटर साइकिल बर्फ में फिसल कर नीचे खड्ड में जा गिरी थी । जैसे-तैसे हिम्मत करके वह ऊपर सड़क तक पहुँचा । उस बारिश और बर्फबारी में हड्डी जमा देने वाली ठंड की पूरी रात उसने भूखे -प्यासे उस जे सी बी मशीन के नीचे बिताई । उसका शरीर बुखार से तप रहा था । उन खतरनाक हालात में उसकी हालत देखते हुए इतनी बात तो पक्की थी कि तुरंत सहायता नहीं मिली तो उस घायल व्यक्ति का बचना मुश्किल था । मुश्किल यह थी कि हमारी गाड़ी पूरी तरह से सामान से भरी हुई थी जिसमें उस घायल युवक को लेजाने की जगह नहीं थी । मैं और विशुमा उस समय जो तुरंत कर सकते थे हमने किया । अपनी गाड़ी में जो टेंट था उसे लगा कर उसके लिए ठंड और बर्फ से बचाव का इंतजाम किया।
बदकिस्मती यही थी कि जिस रास्ते पर हम थे वह सामान्य और चलता हुआ रूट नहीं था । इस पर तो हम एक दोराहे पर भूल से गलत मोड़ काट कर भटक कर आ गए थे । सहायता जुटाने के लिए हम वापिस जिधर से आए थे उधर का ही रुख किया । कुछ दूर जा कर एक दिल्ली की ही फोर्ड एंडेवयर गाड़ी नजर आई । उसमें बैठे दो लड़कों को सारी कहानी बताते हुए सहायता करने का अनुरोध किया । भले लड़के थे , तुरंत तैयार हो गए । पास ही बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बी आर ओ ) के कुछ लोग भी ढूंढ लिए । वे भी अपनी गाड़ी ले कर तुरंत घटना स्थल को रवाना हो गए । सबकी मदद से उस घायल युवक को गाड़ी में ले जाते हुए हम सब अस्पताल की खोज में थे जहाँ उसका इलाज हो सके । लगभग एक घंटे की दूरी तय करने के बाद जिप्सा – गेमूर का हेल्थ सेंटर नजर आया । घायल युवक चलने की हालत में तो था ही नहीं और वह डिस्पेंसरी थी सड़क के लेवल से लगभग 50 फुट नीचे जहाँ केवल सीढ़ियों से ही पहुंचा जा सकता था । उसे कमर पर लाद कर बड़ी मुश्किल से नीचे पहुंचे तो वहाँ ताला लगा पाया । खैर...... खोजबीन कर के वहाँ के स्वस्थकर्मी को ढूंढ कर लाए जिसने प्राथमिक उपचार तो कर दिया पर घायल की अवस्था देखते हुए उसे जिला अस्पताल केलॉन्ग में भर्ती कराने की सलाह दी ।
इस पूरे प्रकरण ने मेरे भी दिमाग पर इतना असर छोड़ा कि अपनी आगे के यात्रा -कार्यक्रम में काफी बदलाव कर दिए । उस युवक के बारे में अस्पताल से फोन द्वारा खोजखबर लेता रहा । लगभग 15 दिन के बाद वह युवक ठीक होकर अस्पताल से छुट्टी पा गया । इस दौरान बी आर ओ के स्टाफ ने उसकी काफी देखभाल और सहायता की ।
अब मेरी बात ज़रा ध्यान से सुनिए – क्या यह अजीब बात नहीं है कि मुझे तो उस रास्ते पर जाना ही नहीं था जिस पर वह युवक घायल हालत में पिछले 20 घंटे से भारी बर्फबारी के बीच पड़ा था । मैं तो रास्ता भटक गया था । ईश्वर तो राह दिखाते हैं पर क्या किसी असहाय की जीवन-रक्षा के लिए राह से भटका भी देते हैं । सवाल मेरा ...... सोचते रहिए आप ।
( इस आपबीती रोमांचक संस्मरण का वीडिओ यू ट्यूब पर मेरे चेनल पर भी मौजूद है जिसे आप लिंक पर आप देख सकते हैं )
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प्रस्तुतकर्ता : मुकेश कौशिक
Hats off to rescue team.Very thrilling experience.
ReplyDeleteeverything happens for a reason
ReplyDeleteयह संस्मरण पढ़कर यह स्थापित होता है, कि हम सब एक दूसरे के ऋण चुकाने के लिए जन्म लेते हैं, कब कौन किस रूप में कहां किस परिस्थिति में मिलेगा और हमारे उस समय क्या विचार जागृत होगें परमात्मा ही निर्देशित करता है।
ReplyDeleteRespected sir
ReplyDeleteHat's off to desr Mohit Tiwari he is like god for that injured boy and thanks to you for posting this real incident.you are a great humen
सहायता करने वाली टीम के सभी सदस्य प्रशंसा के पात्र हैं ।ईश्वर जीवन में देवदूत बनने का अवसर कभी न कभी सभी को देता है । यह हम पर निर्भर करता है कि हम उस अवसर का उपयोग करते हैं या व्यर्थ जाने देते हैं ।ऐसे प्रेरक संस्मरण को प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद भैया ।
ReplyDeleteVery exciting & Thrilling experience
ReplyDeleteKudos and my Salute to all the persons who were involved in helping the injured person. Jako rakhae saiyan Mar sake na koi.
ReplyDeleteThis is an act of gallantry, full of kindness to humanity. No proper words to describe Samaritan rescue mission of Tiwariji and his companions, who saved a life. God is supreme. Kudos to majik writing of Kaushik Saheb to bring forth this heart rendering incident. Salute.
ReplyDeleteMaarne Wale se bachane wala bada hota hai. Bharat Kumar Trivedi.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी और सच्ची घटना हमें जानने का मौका मिला ।thanks bhaiya
ReplyDeleteप्रकृति तो इशारे करती है पर हम लोग समझ नहीं पाते
ReplyDeleteCongratulations to Mukesh Kaushik Saheb for letting us know the real life heart rendering incident.
ReplyDeleteKudos to Mohit Tiwari and whole rescue team for saving a precious life.
God is kind and great.
होता तो सब ईश्वर की मर्जी से ही है साधन कैसा भी हो। यह सेवा महित तिवारी एवं अन्य लोगो को मिली सभी बधाई के पात्र हैं
ReplyDeleteकौशक जी ने सुंदरता से इसे प्रस्तुत किया उनेह भी बधाई
पुरुषोत्तम कुमार