शायद अब तक आपको अंदाजा हो गया होगा कि उड़ान श्रंखला के द्वारा मैं आपकी जान-पहचान उन ख़ास लोगों से करवाता हूँ जिन्होंने अपनी मंजिल हासिल करने के लिए बेशुमार संघर्ष करने पड़ें हैं |चलिए आज मेरा लिखा पढ़ने से पहले सुनिए उस सुरीली आवाज को जिसे सुनकर आप खुद भी जानना चाहेंगे उस इंसान के बारे में जिससे मैं आपको मिलवाना चाह रहा हूँ |नीचे अलग-अलग तरह के गानों के लिंक दिए गए हैं जिन्हें सुनकर आपको इस हरफनमौला गायक की प्रतिभा का बखूबी अंदाजा हो जाएगा|
मेरा यह लेख संगीत के प्रति शौक रखने वाले गंभीर पाठकों को समर्पित है | मेरी मोटी बुद्धि के अनुसार दुनिया में तीन तरह के लोग होते हैं | पहले जिनके लिए मुहावरा बना है – भैंस के आगे बीन बजाना, दूसरे जिन्हें आप कहते हैं संगीत के प्रेमी और तीसरे बिरले किस्म के प्राणी जो होते हैं संगीत के उपासक,साधक | आज मैं उन्हीं संगीत के पुजारियों की बात कर रहा हूँ जिनके लिए खान-पान, दीनो-दुनिया और रोजी-रोटी से भी ऊपर बस एक ही जुनून है और वह है सिर्फ संगीत का | इनकी हर साँस में बस संगीत की लय, ताल और सरगम बसी होती है | एक ऐसे ही शख्स को मैं भी जानता हूँ जिसके रोम-रोम में संगीत की स्वर लहरियाँ बसी हैं | सुरीली और मनमोहक आवाज के स्वामी इस नवयुवक का नाम है सौरव मिश्रा जिनकी गायकी का कमाल मैंने सबसे पहले आज से लगभग तीन वर्ष पूर्व इंटरनेट पर एक यू-ट्यूब की एक म्यूजिक वीडिओ पर देखा जिसका नाम था बंजारा | आवाज में कुछ एक ऐसी कशिश थी कि दिमाग के किसी कोने में वह जादुई आवाज़ मानों घर कर गई | मिलना तो इस नवयुवक से मेरा आज तक नहीं हुआ पर बीच-बीच में कभी-कभार फोन पर बात हो जाती थी | इस यदा-कदा की बातचीत का इतना प्रभाब जरूर हुआ कि जितनी मधुर आवाज उसके गानों में सुना करता उससे कहीं अधिक शालीनता और नम्रता उसके व्यवहार में महसूस हुई | कला-क्षेत्र के कई नामी-गिरामी बुलंदी छूते घमंड में चूर लोगों को जमीन पर लमलेट होने में देर नहीं लगती | कलाकार को दक्षता के अतिरिक्त जिस संवेदना, संस्कार और विनम्रता की जरूरत होती है वह इस नवोदित सितारे में मुझे अनुभव हुई जोकि उसके उज्जवल भविष्य का सूचक है | मेरे ब्लॉग के अधिकाँश लेख आस-पास के ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों , स्थानों या विषय से सम्बंधित होते हैं जिनमें सबसे हटकर कुछ अनोखापन, रोचकता और समाज के लिए सन्देश हो | शायद यही कारण है मुझे लगा कि इस करीब के किरदार के बारे में कुछ लिखूँ | इस शख्स में बहुमुखी प्रतिभा है- यह गायक है , गीतकार है, संगीतकार है; स्टेज पर उतना ही अच्छा लाइव-शो भी करता है | जितनी पकड़ उसे सुगम संगीत पर है उतना ही कौशल उसे शास्त्रीय और सूफी शैली के गीत-संगीत पर भी है | फोन पर ही लम्बी बातचीत सौरव से हुई और जितनी भी जानकारी इस सुरीले, सुशील और सुदर्शन कलाकार के बारे में जुटा पाया वह सब आप भी सुनिए खुद सौरव मिश्रा की ज़ुबानी –
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सुरों का सिकंदर : सौरव मिश्रा |
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नाम तो आप मेरा अब तक जान ही गए होंगे – जी हाँ सौरव मिश्रा |जिस उम्र में बच्चों को खेलने-कूदने से ही फुर्सत नहीं होती तब मेरे दिमाग़ में संगीत का जादू उस हद तक घर कर चुका था कि रात-दिन सपने में भी स्वर लहरियाँ सुनाई पड़ती थीं | मुज़फ्फरनगर-सहारनपुर राजमार्ग पर मुजफ्फरनगर से लगभग सात कि.मी. दूर एक छोटा सा कस्बा है – रोहाना, वही मेरा जन्म स्थल है जहाँ से मेरे बचपन और किशोरावस्था की यादें जुड़ी हैं | उत्तर प्रदेश सरकार की रोहाना में एक चीनी मिल थी जिसका अब निजीकरण हो चुका है, उसी चीनी मिल में मेरे पिता काम करते थे | जाहिर सी बात है मेरा बचपन उसी चीनी मिल और उसके टाउनशिप के परिवेश के इर्द-गिर्द रहा |
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मेरे संगीत का पहला आलाप रोहाना की इन्हीं गलियों में गूँजा |
मेरे कुछ ख़ास दोस्त आज भी हँसी-मज़ाक में कहते हैं कि तुम्हारी आवाज की मिठास चीनी मिल के मिठास भरे वातावरण की वजह से है, ना कि रियाज़ की वजह से | खैर दोस्तों की बातें तो दोस्त ही जानें पर मुझे संगीत का शौक काफी हद तक विरासत में मिला है | मेरे पिता के अलावा चाचा-ताऊ भी वहीं चीनी मिल में कार्यरत थे और हम सब एक संयुक्त परिवार की तरह मिल के टाउनशिप के मकानों में साथ ही रहते थे | अब मज़े की बात यह कि संगीत के सभी हद दर्जे के शौक़ीन | इसका मुझे सबसे बड़ा फ़ायदा यह मिला कि जब मैंने संगीत सीखने और व्यवसाय के रूप में चुनने के प्रति गंभीरता दिखाई तो सबने मेरा हौसला बढ़ाया | बात फिर से उसी बचपन की, घर का वातावरण शुरू से ही धार्मिक रहा | मंदिर नियमित रूप से जाते ही थे, वहीं पर भजन भी गाने का मौक़ा मिल जाता था | रोहाना कस्बे में हर साल रामलीला भी होती थी जिसमें शुरुआत वानर सेना के बन्दर के रूप में की और बाद में राम के मुख्य पात्र तक की भूमिका निभाने का मौक़ा मिला |आप यह भी कह सकते हैं कि बन्दर से आदमी बनने का मैं जीता-जागता उदाहरण हूँ | यहाँ की पारंपरिक रामलीला में पात्रों द्वारा संवाद चौपाई के रूप में गायन शैली में बोले जाते थे अत: मुझे प्रतिभा दिखाने का स्वत: ही अवसर आसानी से मिल जाता | दर्शकों से मिलने वाली तालियाँ और प्रोत्साहन यह मेरी जिन्दगी की संगीत की दुनिया से मिलने वाला पहला पुरस्कार था |
वक्त
ने धीरे-धीरे करवट लेनी शुरु कर दी | टी सीरिज
सुपर केसेट्स इंडस्ट्रीज की हिमाचल प्रदेश में
बद्दी स्थित प्लांट में मुझे काम मिल गया | काम मेरी
ही पसंद का था पर मेरी मंजिल तो कुछ और ही थी | चुपके-चुपके
टी.वी. चेनेल्स के लिए होने वाले म्यूजिक आडिशन में भी अपना भाग्य आजमाता रहा | अब
क्या-क्या बताऊँ, कहाँ-कहाँ
पापड बेले और किस्मत थी कि जैसे ही मंजिल के पास पहुंचता, सफलता थी
कि फुर्र से सर के ऊपर से निकल जाती|
बस समझ लीजिए मानों हिम्मत और तकदीर
के बीच जैसे जंग छिड़ी हो| हौसला
मैंने भी नहीं छोड़ा कितने ही कितने ही गायन रिएल्टी शोज़ में भाग लिया | सफलता
का किनारा भी धीरे-धीरे नज़र आना शुरू हो गया | सहारा
चेनल का प्राइड आफ़ यू.पी.,
एम.एच. चेनल के आवाज पंजाब दी,
साधना चेनल का भक्ति गायन का रिएल्टी शो सभी में जबरदस्त
कामयाबी और शौहरत दोनों मिली |
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जोड़ी हमारी :चाहत -सौरभ |
इस बीच मेरे संगीत के सफ़र में एक साथी भी जुड़ गया जिनका नाम है चाहत कक्कर | मेरे लिए वह दोस्त भी है और साथ ही भाई से बढ़ कर भी है बल्कि सच कहूँ तो सही मायने में परिवार के सदस्य की तरह | अब हो गए हम एक और एक ग्यारह | चाहत यूँ तो पत्रकारिता में स्नातक हैं पर बाद में साउंड इंजीनियरिंग के तकनीकी क्षेत्र में पढाई करके संगीत की दुनिया से भी मेरी तरह से ही जुड़ गए | अब हम दोनो ही जुट गए एक साथ एक नए जोश से नए गीत बनाते, धुन रचते, रिकार्डिंग करते; साथ ही साथ संगीत कार्यक्रमों में स्टेज शो भी करते | सरस्वती की दयादृष्टि तो पहले से ही थी अब लक्ष्मी की कृपा भी हम पर होने लगी है | बंजारा म्यूजिक वीडिओ आया, काफी तारीफ़ मिली | फिर एक के बाद कई और गाने भी आए जिनकी झलक आपको इसी ब्लॉग के लिंक में देखने को मिल जायेगी | कई फिल्मों के लिए पार्श्व संगीत संगीत भी देने का मौक़ा मिला जैसे - नारायण, तीन ताल, बौद्ध भिक्षुक (Buddhist Monk) | रेडियो और टी.वी. विज्ञापनों के लिए जिंगल भी बना रहे हैं जिनमें से कुछ हो सकता है आपने भी देखे- सुने होंगें | जिन्दगी लगातार व्यस्त होती जा रही है पर संगीत की दुनिया में मसरूफ़िअत का भी अलग ही मज़ा है, नशा है | हमारे लिए सफलता का यही मूल मन्त्र है “ सितारों के आगे जहां और भी है, अभी इश्क के इम्तहां और भी हैं”|
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सितारों से आगे जहां और भी है |
आगे कभी कुछ और बताने लायक हुआ तो आपके साथ अपनी खुशियाँ जरूर बाटूँगा क्योंकि मैं जानता हूँ कि एक कलाकार के सुख-द:ख के सच्चे साथी उसके प्रशंसक और आप जैसे चाहने वाले ही होते हैं| अपनी कहानी फिलहाल अब यहीं समाप्त करता हूँ |
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तो दोस्तों, हालाँकि मुझे लग रहा है कि लेख ज्यादा लंबा हो रहा है इसलिए फिलहाल की कहानी केवल सौरव के बारे में ही है | इस जोड़ी के चाहत कक्कड़ के बारे में लेख फिर किसी समय, जिसके लिए आपको करना पडेगा कुछ इंतज़ार | जैसा मैंने पहले भी कहा मेरा आज का यह लेख एक संघर्षशील संगीत साधक के बारे में है, उसकी लगन और हर दिक्कत के बावजूद अपनी मंजिल को पाने की पुरजोर कोशिश के बारे में है | यह उभरता सितारा एक छोटे से कस्बे की बहुत ही साधारण परिवार की पृष्ठभूमि से निकला गुदड़ी का लाल है जिसे आप एक दिन निश्चित रूप से सफलता के अंतरिक्ष में चमकते हुए पाएंगे- यह मेरा अनुमान नहीं विश्वास है, शुभकामनाओं सहित भविष्यवाणी है |
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