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मोहित तिवारी : सच में गज़ब |
अगर शादी करने जा रहा आपका कोई परिचित बाकायदा यह घोषणा कर दे कि वह शादी में घोड़ी पर नहीं बैठेगा| उसकी घुड़चढ़ी नहीं बल्कि ‘मोटर-साइकिल-चढ़ी’ होगी | बाराती भी बाकायदा बुलेट मोटर साइकिलों के काफिले में पहुंचेंगे | दिल पर हाथ रख कर एक बात सच-सच बताना- यह सब सुनकर आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या होगी | आप एक ही झटके में मेरे इस सवाल को यह कहते हुए पूरी तरह से नकार देंगे कि “कौशिक जी ! आप का सवाल बे-सिर पैर का है | यह विदेश नहीं है, भारत है | अभी हमने इतनी तरक्की नहीं की है जहां शादी जैसी परम्पराओं में कोई इतना बड़ा काण्ड कर दें |” अब क्या बताऊँ आपको, पहले मैं भी कुछ-कुछ ऐसा ही सोचा करता था जब तक मैं मोहित तिवारी से नहीं मिला था | जब इसी तरह की बात मैंने उसके मुंह से सुनी, सच मेरा तो दिमाग एक बार पूरी तरह से घूम ही गया था | फिर यह भी सोचा कि जाने भी दो , कई बार बच्चों की बातों में कथनी और करनी में फर्क भी होता है| पर यहाँ मैं पूरी तरह से गलत साबित हुआ | जब मोहित तिवारी की शादी हुई तो कुछ इस निराले अंदाज़ में जिसकी यादें आज भी मेरे ज़हन में ताज़ा हैं | उत्तराखंड के सुदूर जिम कार्बेट नेशनल पार्क के जंगलों में बरात का स्वागत, मोटर साइकिल पर दूल्हा और उसके पीछे दोस्तों का कारवां | भीड़ –भड़क्के से दूर प्रकृति की गोद में, नदी किनारे जयमाला, शादी के फेरे और रस्में|
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गज़ब बन्दे की अजब बरात |
इन सब को देख कर मुझे लगा कि और कुछ हो न हो , पर इस बन्दे में कुछ तो है ख़ास | बस तभी से दिमाग में यही ख्याल रह रह कर उमड़ता रहा कि इस पर एक लेख लिखा जाए | समय निकलता गया और एक दिन टी.वी. पर कुछ ऐसा देखा कि लगा कि अब वक्त आ गया है, अब तो उस बन्दे यानी मोहित तिवारी के बारे में कुछ लिखना ही चाहिए | टी.वी. पर क्या देखा, यह भी बताता हूँ , बस ज़रा धीरज रखिए |
दरअसल मोहित मेरे बेटे प्रियंक का हमउम्र और पुराना दोस्त है | घर में आना जाना लगा ही रहता है| घर में घुसते ही गेट से ही उसकी ऊँची खनकदार आवाज जैसे मुनियादी कर देती है कि शहंशाहे आलम तशरीफ ला रहे हैं | दोस्त से मिलने बाद में जाएगा, पहले मेरी मां के हाल-चाल लेने सीधे –धड़धड़ाते उनके कमरे में और उसके बाद सीधे ही जैसे जानदार आवाज का बारूदी पटाखा छूटता है “ अम्मा नमस्ते” | इससे पहले कि मां इस नमस्ते का जवाब आशीर्वाद के रूप में दे सके, उस जानदार, शानदार और गरजदार आवाज की गूंज पड़ोसियों के घर की दीवार से टकरा कर कई बार घर में पहुँच जाती है “ अम्मा नमस्ते ..... अम्मा नमस्ते ... अम्मा नमस्ते !!!!” कभी-कभार मेरे कमरे में भी भूले-भटके गपशप करने आ बैठता | उसी बातचीत के दौरान धीरे-धीरे उसकी जानी-अनजानी जन्मकुंडली परत-दर-परत खुलने लगी जोकि हर तरह से काफी दिलचस्प थी | मोहित के पिता भारत सरकार के गृह मंत्रालय में एक अच्छे ओहदे पर थे | बदकिस्मती से बीमारी से उनका तभी निधन हो गया जब मोहित ने पढाई पूरी करके नौकरी की दुनिया में कदम रखा ही था | पिता की असामयिक मृत्यु ने शुरू में तो मोहित को एक तरह से कहीं अन्दर तक तोड़ डाला | पर ऐसा कब तक चलता, आखिर मां को भी तो हिम्मत बंधानी थी | सो खामोशी की चादर ओढ़े , शर्मीले से मोहित का धीरे-धीरे रूपांतरण शुरू हो गया एक बिलकुल अलग नए अवतार में जो था मिलनसार, हंसमुख, मस्त मौला, खतरों का खिलाड़ी| बचपन से ही मोहित को मोटर-साइकिल या जिसे आज की शब्दावली के हिसाब से बाइक कहा जाता है, से जबरदस्त जुनून की हद तक लगाव रहा | उम्र के साथ-साथ यह लगाव दीवानगी की हद तक पहुँचने लगा | इस शौक के चक्कर में अपने बाइक से ऐसे फिसले भी कि हाथ-पाँव तक तुड़वा लिए | ऊपर से तुर्रा यह कि दोस्त लोग भी ऐसे जो टांग के प्लास्टर पर भी कार्टून और सन्देश लिख कर चले जाते | पर वह शौक ही क्या जो फ्रेक्चर, प्लास्टर और अस्पताल के खतरों से डर जाए |
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गिरते हैं शह सवार ही मैदाने जंग में |
अब तक मोहित ने कई नामी गिरामी बाइक प्रतियोगिताओं में भाग लिया, पुरस्कार भी जीते और सारे भारत की लम्बी-लम्बी जोखिम भरी यात्राएं भी की |
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यादगार मिशन: दस हजार किलोमीटर बाइक पर |
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बैजू बावरा नहीं - बाइक बावरा |
एक तरह से देखा जाए तो आप कह सकते हैं कि काश्मीर से कन्याकुमारी और सुदूर नार्थ-ईस्ट के राज्यों से लेकर राजस्थान तक शायद ही कोई 70,000 किलोमीटर की सड़कें उनकी बाइक के टायरों के निशान से अछूती रही होगी | कार से भी लगभग इतनी ही भारत की खोजी यात्रा कर चुके हैं | एक बार तो हद ही हो गयी जब मोहित को जरूरत पड़ गयी एक महीने की छुट्टी की, क्योंकि उन्हें बाइक से भारत भ्रमण प्रतियोगिता में हिस्सा लेना था | कंपनी ने छुट्टी देने में ना-नुकुर की तो श्रीमान जी ने सीधे नौकरी से ही हाथ जोड़ कर विदा ले ली |
अब आता हूँ टी.वी. के उस किस्से पर जिसका जिक्र मैंने शुरू में किया था | अभी कुछ दिन पहले ऐ.बी.पी. न्यूज़ के चेनल पर देखा मोहित एक बहुत ही मनोरंजक और दिलचस्प कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहा है | प्रोग्राम का नाम है “अजब देश की गज़ब कहानी" | इस प्रोग्राम के लिए मोहित ने देश के कोने-कोने की ख़ाक छानने में खूब पसीना बहाया और अब ऐसी विलक्षण प्रतिभाओं को सबके सामने ला रहा है जिन्हें देख कर आप सच में अचम्भे से दांतों तले अपनी उंगली दबा लेंगें | यह प्रोग्राम हर शनिवार को रात आठ बजे प्रसारित हो रहा है |
अच्छा लगता है जब आप देखते हैं कि मोहित तिवारी जैसा एक नन्हा सा पौधा, ज़िंदगी के हर थपेड़े और मुश्किलों का हंसते-गाते सामना करते हुए, सफलता की सीढ़ियों पर चढते हुए, धीरे-धीरे अब एक हरे-भरे वृक्ष का रूप ले रहा है | आइये हम और आप उसकी सफलता के लिए कामना करें | और हाँ यह तो मुझे विश्वास है कि आप मोहित तिवारी के प्रोग्राम को जरूर देखेंगे |
Superb sir....
ReplyDeleteVery inspiring story uncle !! Your blogs are truly inspiring and serve the purpose well. Your exceptional skills of observation, analysis and writing are commendable indeed !! Your words are immensely meticulously framed and magical in impact. Keep on doing it as we egarly wait for such encouraging stories. May you always be blessed to have a healthy and happy life along with all your near and dears.💐💐💐💐💐
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी और रोचक कहानी ऐसी दमदार जोड़ी को बहुत बहुत शाबाशी।
ReplyDeleteहेमलता कौशिक
👏👏👏👏
ReplyDeleteLoved this fatfatiii couple 👌🏻
ReplyDeleteमोहित - विशुमा की जोड़ी को बहुत बहुत शुभकामनाएं।
ReplyDeleteआपको भी शुभकामनाएं।
पुरुषोत्तम कुमार
Our blessings to this couple. Pray God to help them reach new heights in their life.
ReplyDeleteCongratulations to u also for bringing their story and their passion to our knowledge.
There is no doubt in it that mohit is a passion in itself.
ReplyDeleteBest of luck bro...