Wednesday 12 December 2018

पंजाब दा पुत्तर - पम्मा

अभी पिछले दिनों ही एक बहुत ही करीबी सिख परिवार की शादी में सम्मिलित होने के लिए लुधियाना ( पंजाब) जाना हुआ | शादी दिन की थी | धार्मिक परम्परा के अनुसार दुल्हा- दुल्हन के फेरे गुरूद्वारे में हुए और उसके बाद एक तो पंजाब और ऊपर से शादी भी सरदारों के यहाँ जो वैसे ही अपनी जिंदादिली और तड़क-भड़क के लिए मशहूर हैं, तो धूम-धड़ाका, हल्ला-गुल्ला, शोर-शराबा होना तो स्वाभाविक ही था | एक कोने में चुपचाप बैठा इसी मौज- मस्ती का आनंद उठा रहा था कि अचानक सामने कुछ हलचल सी नज़र आयी | एक नवयुवक बार- काउंटर पर सर्व कर रही लड़की के पास आ कर सेल्फी लेने का प्रयत्न कर रहा था | जाहिर तौर पर वह लड़की इस मनचले की हरकत के लिए तैयार नहीं थी | पर वही बात , दारू के नशे में हर शख्स किसी शहंशाह से कम नहीं होता और उस शहंशाह को जमीन पर उतारने के लिए बात या फिर लात का ही सहारा लेना पड़ता है | तभी क्या देखता हूँ कि वहां पर न जाने कहाँ से अचानक काले सफारी सूट में एक भीमकाय, बलिष्ठ नौजवान अलादीन के जिन्न की तरह से प्रकट हो जाता है | पहली नज़र में देखते ही दिमाग चकरा जाता है कि उसे नौजवान कहूँ या पहलवान | हमारी- आपकी गर्दन से मोटी तो उस शख्स की बाहों के डोले थे |
बाउंसर पम्मा 
उस पहलवानी शांतिदूत ने बड़े ही प्यार से उस मनचले शहंशाह को अमन का सन्देश मुस्कराते हुए बातों के द्वारा ही इस प्रकार से दे दिया कि नवाब साहब ने वहां से इज्ज़त बचाकर भागने में ही भलाई समझी | आसान शब्दों में बस यह समझ लीजिए कि बातों से ही काम बन गया और लात रूपी ब्रह्मास्त्र की आवश्यकता ही नहीं पड़ी | 

बैठे –बिठाए दिमाग में ख्याल आया कि भाई यह भीम तो बड़े काम की चीज है ठीक उसी तरह जैसे क्लास में मानीटर होता था | शरारती बच्चों को काबू में लाने का जिम्मा उसी का होता था | मिलने पर बहुत ही अदब से उसने मुझे बताया कि सर मेरा नाम है पम्मा और मेरा काम है बाउंसर का | काम का नज़ारा आप देख ही चुके हैं | 
मैं और पम्मा (बाएं से)  
मैंने उसे सुझाव दिया कि चलो पम्मा भाई, कहीं बैठ कर शांति से बात कर लेते हैं | पम्मा ने फिर वही अपनी चिर-परिचित मुस्कराहट के साथ जवाब दिया कि सर मैं ड्यूटी पर हूँ और बैठ नहीं सकता | बस इसके बाद डी.जे के कानफाडू संगीत के शोर-शराबे के बीच ही शुरू हो गया पम्मे से बातचीत का एक ऐसा सिलसिला जिससे उसकी ज़िंदगी और प्रोफेशन के बहुत सारे रोचक और भावुक कर देने वाली छुए –अनछुए पहलू निकल कर सामने आये | 
एक तस्वीर बचपन की 
मैं यहीं लुधियाना से तकरीबन 40 कि.मी दूर एक कस्बा है – जगरांव , वहीं का रहने वाला हूँ | वहीं पैदा हुआ , पला – बढ़ा पर बदकिस्मती से कुछ ख़ास पढ़-लिख नहीं पाया जिसका मुझे आज तक मलाल है | अपने गाँव में एक हज़ार रुपये महीने पर भी एक दुकान में काम किया | अगर मैनें पढ़ाई की होती तो आज मैं कुछ और बेहतर हालात में होता | हमारे गाँव में भी वही समस्या है जिससे सारा पंजाब आज भी जूझ रहा है – नशे की लत | घर-घर में नशे का जहर आज की नयी पीढी को बरबाद कर रहा है | हालत यहाँ तक पहुँच चुकी है कि हर कमजोर शरीर के बच्चे और जवान पर नशेड़ी होने का शक किया जाता है| आज जो आप मेरा पहलवानी शरीर देख रहे हैं उसे बनाने के पीछे भी यही वजह है कि लोग मुझे भी नशेड़ियों की जमात में शामिल न समझें | नशे से मुझे सख्त नफरत है| 
मजबूत कंधो  पर जिम्मेदारी भी भारी 
मेरे घर के हालात अच्छे नहीं रहे | पुरखों ने अपनी जमीन – जायदात काफी हद तक दान- पुण्य में गवां दिया | अब मुझे जिन्दगी के बहुत ही मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा है | मेरा यह फौलादी जिस्म ही मेरा खेत, खलिहान , पूंजी सब कुछ है | रोज एक से डेढ़ घंटे की कसरत नियमित रूप से करता हूँ | पर इसे बरकरार रखने के लिए जरूरत के हिसाब से सही ढंग का खान-पान बनाए रखना भी मेरे लिए बहुत बड़ी चुनौती है| बाउंसर का काम मैं करता जरूर हूँ पर मजबूरी में | इस काम में इज्ज़त नहीं है | जब लोग समारोहों में सबके सामने हमसे बहुत ही बे-अदबी से पेश आते हैं, अबे-तबे कह कर बात करते हैं, सच कहता हूँ दिल पर सीधे चोट लगती है | उन बदतमीजियों का माकूल जवाब तो मैं भी दे सकता हूँ पर घूम फिर कर बात वहीं रोजी-रोटी पर आ कर ठहर जाती है इस लिए हाथ बंधे ही रखने पड़ते हैं | एक बात और – मुझे भले लोग भी मिले हैं | वर्जिश करने के लिए मैं जिस जिम में जाता हूँ उसके मालिक सतनाम जी ने मेरे हालात देख कर मुझ से आज तक कोई फीस नहीं ली | अपने दोस्तों का भी मुझे भरपूर प्यार मिला है जो मेरे हर सुख दुःख में मेरा साथ देते हैं | 
मेरे दोस्त 
मेरा सपना है किसी तरह से विदेश चला जाऊं | पाई-पाई करके पैसे भी जोड़ रहा हूँ | वहां जा कर अपने लायक काम तो मैं खोज ही निकालूँगा, इतना तो खुद पर भरोसा है | आखिर 23 साल की उम्र में 105 किलो का यह 6 फीट का शरीर कब काम आयेगा | 
खुदा खैर करे - बुरी नज़र से 
अपने तजुर्बे से आप सब दोस्तों के लिए मेरा बस यही सन्देश है : पढ़ाई –लिखाई जरूर करिए और नशे से दूर रहें, कामयाबी आप के कदम जरूर चूमेगी |
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हमेशा की तरह से इस बार भी मैं आप से अनुरोध करूंगा कि पंजाब के इस भीम-पुत्र पम्मा के चमकदार भविष्य के लिए आप सच्चे मन से दुआ करेंगे जो इतना दिल का सच्चा इंसान है जिसने मुझे यह भी बता दिया कि आप जो लिखेंगे उसे मैं अपने दोस्तों से ही पढ़वा कर सुनूंगा क्योंकि मैं पढ़ाई –लिखाई में कच्चा हूँ |

6 comments:

  1. God bless Pamma. He has got enviable physique.

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  2. I really attached with that person from my heart. I love you brother . Everything is right which is written in this passage.

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  3. Yr observation on the personality of the bouncer and his dreams is perfect.

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