अभी पिछले दिनों ही एक बहुत ही करीबी सिख परिवार की शादी में सम्मिलित होने के लिए लुधियाना ( पंजाब) जाना हुआ | शादी दिन की थी | धार्मिक परम्परा के अनुसार दुल्हा- दुल्हन के फेरे गुरूद्वारे में हुए और उसके बाद एक तो पंजाब और ऊपर से शादी भी सरदारों के यहाँ जो वैसे ही अपनी जिंदादिली और तड़क-भड़क के लिए मशहूर हैं, तो धूम-धड़ाका, हल्ला-गुल्ला, शोर-शराबा होना तो स्वाभाविक ही था | एक कोने में चुपचाप बैठा इसी मौज- मस्ती का आनंद उठा रहा था कि अचानक सामने कुछ हलचल सी नज़र आयी | एक नवयुवक बार- काउंटर पर सर्व कर रही लड़की के पास आ कर सेल्फी लेने का प्रयत्न कर रहा था | जाहिर तौर पर वह लड़की इस मनचले की हरकत के लिए तैयार नहीं थी | पर वही बात , दारू के नशे में हर शख्स किसी शहंशाह से कम नहीं होता और उस शहंशाह को जमीन पर उतारने के लिए बात या फिर लात का ही सहारा लेना पड़ता है | तभी क्या देखता हूँ कि वहां पर न जाने कहाँ से अचानक काले सफारी सूट में एक भीमकाय, बलिष्ठ नौजवान अलादीन के जिन्न की तरह से प्रकट हो जाता है | पहली नज़र में देखते ही दिमाग चकरा जाता है कि उसे नौजवान कहूँ या पहलवान | हमारी- आपकी गर्दन से मोटी तो उस शख्स की बाहों के डोले थे |
बाउंसर पम्मा |
उस पहलवानी शांतिदूत ने बड़े ही प्यार से उस मनचले शहंशाह को अमन का सन्देश मुस्कराते हुए बातों के द्वारा ही इस प्रकार से दे दिया कि नवाब साहब ने वहां से इज्ज़त बचाकर भागने में ही भलाई समझी | आसान शब्दों में बस यह समझ लीजिए कि बातों से ही काम बन गया और लात रूपी ब्रह्मास्त्र की आवश्यकता ही नहीं पड़ी |
बैठे –बिठाए दिमाग में ख्याल आया कि भाई यह भीम तो बड़े काम की चीज है ठीक उसी तरह जैसे क्लास में मानीटर होता था | शरारती बच्चों को काबू में लाने का जिम्मा उसी का होता था | मिलने पर बहुत ही अदब से उसने मुझे बताया कि सर मेरा नाम है पम्मा और मेरा काम है बाउंसर का | काम का नज़ारा आप देख ही चुके हैं |
मैं और पम्मा (बाएं से) |
मैंने उसे सुझाव दिया कि चलो पम्मा भाई, कहीं बैठ कर शांति से बात कर लेते हैं | पम्मा ने फिर वही अपनी चिर-परिचित मुस्कराहट के साथ जवाब दिया कि सर मैं ड्यूटी पर हूँ और बैठ नहीं सकता | बस इसके बाद डी.जे के कानफाडू संगीत के शोर-शराबे के बीच ही शुरू हो गया पम्मे से बातचीत का एक ऐसा सिलसिला जिससे उसकी ज़िंदगी और प्रोफेशन के बहुत सारे रोचक और भावुक कर देने वाली छुए –अनछुए पहलू निकल कर सामने आये |
एक तस्वीर बचपन की |
मजबूत कंधो पर जिम्मेदारी भी भारी |
मेरे दोस्त |
खुदा खैर करे - बुरी नज़र से |
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हमेशा की तरह से इस बार भी मैं आप से अनुरोध करूंगा कि पंजाब के इस भीम-पुत्र पम्मा के चमकदार भविष्य के लिए आप सच्चे मन से दुआ करेंगे जो इतना दिल का सच्चा इंसान है जिसने मुझे यह भी बता दिया कि आप जो लिखेंगे उसे मैं अपने दोस्तों से ही पढ़वा कर सुनूंगा क्योंकि मैं पढ़ाई –लिखाई में कच्चा हूँ |
God bless Pamma. He has got enviable physique.
ReplyDelete👏👏👏
DeleteI really attached with that person from my heart. I love you brother . Everything is right which is written in this passage.
ReplyDeleteThanks Bro
DeleteYr observation on the personality of the bouncer and his dreams is perfect.
ReplyDelete👌
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