Sunday 4 September 2022

एक जैसा अंत, काहे का घमंड

 कहने वाले कह गए हैं कि बदनाम हुए तो क्या हुआ, नाम तो होगा । कुछ – कुछ ऐसा ही हाल मेरे शहर – नोएडा का हुआ । पिछले दिनों  टी०वी, अखबारों में बहुत चर्चा में रहा । जहाँ देखो बस किस्से ट्विन टावर के, बिल्डर सुपरटेक के, टावर के गिराए जाने के और सबसे ऊपर इस सारे कांड में लिप्त भ्रष्टाचार के । नोएडा बुरी तरह से देश – विदेश में बदनाम हो गया ।  अब ले दे कर कुल हालात कुछ इस तरह के कि क्लास में शरारत तो करे बच्चा पर सारा दोष उसके माँ -बाप के मथ्थे । आप तो मन को यही कह कर समझा सकते हैं कि एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है ।  अब क्योंकि मैं भी उसी तालाब में रहता हूँ इसलिए इस ट्विन टावर विध्वंस कांड ने दिमाग में गहरी छाप छोड़ी और तरह-तरह के विचारों का बवंडर उठा डाला ।

धुएं में घमंड 
जुड़वां भाइयों से जुड़े बहुत से किस्से आपने भी पढे – सुने होंगे । एक साथ जन्म  और कभी – कभी दुनिया से विदाई भी एक साथ । कुछ ऐसा ही मामला ट्विन टावर का भी रहा । इसे आप कुछ इस रूप में भी देख सकते हैं कि इस संसार में कभी -कभी जड़ वस्तुएं भी जीवित प्राणियों की तरह व्यवहार करतीं हैं  उनके भी कर्म होते हैं और उसी के अनुरूप उनका भाग्य होता है । ये जुड़वां अधबनी गगनचुंबी इमारतें बेईमानी और भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ी थीं । आसपास के क्षेत्र की इमारतों में रहने वाले निवासियों को इस अवैध निर्माण से असुविधा भी हो रही थी । उनके दिल से निकलने वाली बददुआ भी तो उस कोर्ट के निर्णय के रूप में फलीभूत हुई होगी जिसके आधार पर टावर गिराए गए ।

एक कारण और भी हो सकता है । शायद उस आसमान की ऊंचाई को छूने वाले टावर के दिमाग में कहीं कुछ घमंड तो नहीं आ गया था जिसके नशे में चूर ये आसपास की इमारतों को बोना या ठिग्गू कह कर चिढ़ाती हों । अब घमंड तो भाई लोगों रावण का भी नहीं चला तो इनकी तो खैर क्या बिसात थी । जिसे बनाने में वर्षों की मेहनत और समय लगा उस घमंड को मिट्टी में मिलने में मात्र बारह सेकिन्ड लगे । एक और बात दुनियादारी की - जब यह घमंडी इमारत धाराशाही हो रही थी तो ढेरों तमाशबीन ढ़ोल बजा रहे थे, नाच -गा  रहे थे । सीधी सी बात – जब आपका बुरा वक्त आता है तो दुनिया आपके गिरने का केवल इंतजार ही नहीं, स्वागत भी करती है ।

तुम ना जाने किस जहाँ में खो गए 

करोड़ों की लागत से बने ट्विन टावर इस दुनिया से तो विदा ले चुके हैं पर जाते-जाते हम सबको ऐसी अनमोल सीख दे गए जिन्हे रुपये – पैसे में नहीं आँका जा सकता । बेईमानी, लालच और घमंड का देर-सबेर अंत होना ही होता है ।    यही तो है ज़िंदगी की कड़वी सच्चाई जिसे जितनी जल्दी आप स्वीकार कर लें उतना अच्छा ।


12 comments:

  1. Mukesh once again you have written an article giving impact on society thoughts. Congratulation. Good article

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  2. These two towers were symbol of corruption between Builder, politicians, and executives. Court has given a msg to the Builder. Action is still pending against corrupt politicians and executives.

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  3. Very thought provoking article. Gives us a meaningful lesson. Kudos to your writing. The way you have written this article is quite appreciable. Keep up the good work 😁

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  4. अंत भला तो सब भला

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  5. Interpretation of a simple news story from entirely philosophical point of view that too in a very interesting way. 👌

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  6. सही कहा बुरे काम का बुरा नतीजा ।

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  7. सरल शब्दों में गहरी बात रोचक तरीके से कहना आपके ब्लाग की खासियत है। बिना किसी बनावट के सीधे दिल से निकली बात का असर होता ही है। यूं ही लिखते रहें , समाज को अच्छा संदेश मिलता है।

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  8. Hats offs! Very well written

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  9. Remarkable and thought provoking!

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  10. Bahut sundar likha hai Mukesh

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  11. " घमंड जैसा भी हो उसका अंत ट्विन टावर की तरह ही होता है l "
    मुकेश जी की सोच को 🙏🙏🙏🙏🙏💐

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