मैं आपको कोई डरावनी कहानी नहीं सुना रहा । पर यह सच है कि रात के सन्नाटे में साढ़े तीन बजे अक्सर मेरी नींद उचट जाती है । बाहर सड़क पर किसी गाड़ी के रुकने की आवाज आती है । कुछ ही मिनिट रुकने के बाद उस गाड़ी के इंजिन की धीर-धीरे मंद होती आवाज बताती है कि वह गाड़ी फिर कहीं आगे की ओर चली गई है । उस खामोशी में कुत्तों के लगातार भौंकने की आवाज पूरे वातावरण को और अधिक रहस्यमयी , भूतहा और कुछ हद तक डरावना बना देती है । यह लगभग रोज का ही किस्सा है । उस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ । समय वही था जाना – पहचाना रात के साढ़े तीन बजे का । वही बाहर गाड़ी रुकने की आवाज – कुत्तों के भौकने का शोरगुल और मैं अपनी उचटती नींद में दिमाग में उठ रहे कई सवालों की पहेली को सुलझाने की कोशिश में उलझा हुआ – आखिर यह सब माजरा है क्या ? सोचा आज तो हिम्मत जुटा कर इस रहस्य पर से परदा उठाने की कोशिश करनी ही चाहिए । कमरे की बत्ती जलाई ,मेन गेट की चाभी लेकर बाहर निकला । ताला खोला – सामने बड़ा अजीब नजारा था । मेरे घर के बाहर बने रेंप पर कुत्तों का भरा - पूरा जमावड़ा लगा हुआ था । जमावड़ा भी क्या – आप यह भी कह सकते हैं कि उनकी महासभा चल रही थी । इस कुत्ता-महासभा के आयोजन का कारण जल्द ही समझ भी आ गया । घर के बाहर सड़क किनारे कुत्तों के खाने के स्वादिष्ट बिस्किट्स बिखरे पड़े थे । उन्हीं बिस्किट्स की पार्टी का मज़ा लेने के लिए कुत्तों के झुंड में लूट-खसोट मची हुई थी । यहाँ तक तो सब ठीक था पर यह समझ नहीं आया कि आखिर इतने महंगे बिस्किट्स आखिर कहाँ से आ गए – कौन डाल गया ? बाहर सड़क पर ही दूर तक नजर दौड़ाई – अपने सवाल का कुछ हद तक जवाब मिल गया । कुछ ही दूरी पर अंधेरे में सड़क पर खड़ी एक बड़ी सी काले रंग की (एस यू वी ) कार की टेल -लाइट की लाल रोशनी चमक रही थी । उस गाड़ी का शीशा खुला और अंदर से ही ढेर सारे बिस्किट्स की बौछार पास के चबूतरे पर हुई । आसपास के कुत्ते दौड़ कर उस जगह पहुंचे और अपनी पार्टी शुरू कर दी । इतनी देर में वह गाड़ी आगे चल दी और उसकी टेल लाइट की लाल रोशनी को धीरे - धीरे मानों अंधेरे ने निगल लिया । उस गाड़ी में कौन बैठा है मैं नहीं देख पाया ।
अगले दिन इस बारे में मैंने आस-पड़ोस के कई लोगों से बात की – जानकारी चाही । सारी कहानी धीरे-धीरे साफ़ होने लगी । इस बारे में पक्के -तौर पर कोई भी सटीक और विश्वसनीय जानकारी नहीं दे पाया । सबने केवल सुनी-सुनाई बात का ही अलग-अलग तरीकों से बखान किया । उस गाड़ी में कौन होता है – यह किसी ने नहीं देखा । इतना सभी को पता था कि वह गाड़ी पिछले एक वर्ष से लगातार आ रही है । वह गाड़ी कहीं दूर से आती है । रास्ते में जिधर भी कुत्तों की पलटन नजर आती है – उसी जगह पर बिस्किट्स की भरपूर बौछार करती जाती है । सर्दी , गरमी, बरसात – किसी भी मौसम की कोई भी रुकावट उस रहस्यमयी गाड़ी को रोक नहीं सका ।
मैंने उस इंसान को कभी नहीं देखा । लोग उसके बारे में तरह-तरह के अनुमान लगाते हैं । रात के साढ़े तीन बजे के अजीबोगरीब समय में बिस्किट्स खिलाने के पीछे उसकी मंशा पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं । यह दुनिया और पुलिस का दस्तूर है – जब तक सबूत न मिले तब तक हर इंसान संदेह के घेरे में होता है । कुछ लोगों की नज़रों में वह शातिर चोर है तो कुछ उसे आतंकवादी समझ रहे हैं जो किसी बड़ी घटना को अंजाम देने से पहले इलाके के कुत्तों से दोस्ती गांठ रहा है । जहाँ तक मेरा सवाल है – तो मुझे भी लगता है सड़क पर घूमते आवारा, निरीह , भूखे-प्यासे कुत्तों की शानदार – जॉयकेदार पार्टी का रोज़ इंतजाम करने वाला शख्स निश्चित रूप से कोई असामाजिक तत्व ही हो सकता है । जब समाज के अधिकांश तथाकथित दयावान सदस्यों के सेवा-भाव पर निजी स्वार्थ का चश्मा चढ़ा हो तो इन बेसहारा, दर -दर भटकते और पानी की दो बूंदों के लिए भी तरसते मासूम कुत्तों का भला सोचने वाला इंसान उस कठोर समाज का हिस्सा नहीं हो सकता । नेक इंसान को सिरफिरा , पागल और असामाजिक समझने की भूल करना हमारी आदत में शुमार हो चुका है ।
The short real story could translate into a TV serial! Maza aa gaya padhkar, year. Jis ghatna ke kendra me kutte bhonk rahe ho use kahani bana dena ek kala hai.
ReplyDeleteआज कल मैंने महसूस किया है कि ऐसे लोग जो कभी पहले कुत्तों को, चींटियों को या अन्य पशु पक्षियों को रोटी,आटा या दाना डालते नही देखे गए, अब नज़र में आ रहे हैं।
ReplyDeleteकारण कुछ भी हो सकता है जैसे किसी ज्योतिषी के परामर्श के बाद या धार्मिक पाठ में पढ़ने के बाद। और नहीं तो सपना ही देख लीया हो कि ऐसा करने से दिल की मुराद पूरी हो जाएगी।
दिन में समय ना मिलने के कारण भाई अम्रत बेला में पुण्य कमा रहा है।
स्वस्थ रहें, मस्त रहें।
अंधेरी रातों में, सुनसान राहों पर निकलने वाले इस शहंशाह के बारे में तो यही कहा जा सकता है--जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।
ReplyDeleteJust loved this story...... God bless him
ReplyDeleteप्रस्तुतीकरण बहुत अच्छा है ..... बशर्ते बिसकिट खिलाने वाले की भावना ठीक हो क्यो की रात 3-4 बजे का समय शंका मे डालता है ।
ReplyDeleteI think because, In day time, everyone feeds. Dogs are awake at night and may be hungry..
Deletejo bhi ho pr achha tha pr is khani.ko ase prustut krna or achha he
ReplyDeleteServing dogs more than a year is not an easy task. Aajkal to bhakti routine me nahin hoti. God bless him good health.
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