Friday, 15 March 2019

भोलू का दर्द

उस दिन सुबह-सुबह एक पिल्ले की दर्दनाक चीखों की आवाज सुनकर बिस्तर छोड़ कर घर के बाहर निकला | मैं मोहल्ले की उस पूरी कुत्ते और पिल्ले बिरादरी से पहले से ही भली तरह से परिचित था | आप यह भी समझ सकते हैं कि एक तरह से वो सब मेरे दोस्त रहें हैं – और मेरे घर के रेम्प पर ही उनका रात भर जमावड़ा रहता है | हर सुबह घर से बाहर निकलने पर सबसे पहले उनकी टीम ही मेरा उछल-कूद कर हार्दिक अभिनन्दन करती है | महानगरों की आज की संस्कृति में, जब पड़ोसी भी पड़ोसी को नहीं पहचानता है, ऐसे में ये बेजुबान दोस्त ही रह जाते हैं इंसानों को यह याद दिलाने के लिए कि इस दुनिया में अगर आप भूल चुके हैं अपनेपन की भावना को तो हम से सीखो | क्या देखता हूँ सड़क के किनारे एक पिल्ला भयंकर पीड़ा में पड़ा रो रहा है | उसकी इन चीखों को सुनकर उसकी माँ भी तुरंत दौड़ती हुई आ गयी | उसी पिल्ले के , जिसे हम आगे भोलू के नाम से पुकारेंगे, छोटे-छोटे अन्य साथी भी आनन-फ़ानान में आ पहुँचे | उन साथियों में से एक ने तो महीन सी आवाज में रोना भी शुरू कर दिया | एक दूसरे साथी ने शायद भोलू का ध्यान बटा कर दर्द कम करने की कोशिश में, उसके साथ हल्का सा खिलवाड़ करने की तरकीब आजमानी चाही | पर हुआ इसका ठीक उल्टा असर – भोलू की माँ को यह कोशिश नागवार गुज़री और उस शरारती दोस्त को बुरी तरह से झिंझोड़ कर ऐसा करने से रोक दिया | भोलू की माँ का गुस्सा पूरे सातवें आसमान पर था | गुस्से में उसने सड़क के पास से निकलने वाले एक राहगीर को काटने की भी कोशिश की | अब तक मैं वहां खड़ा सारी स्थिति को समझने का प्रयत्न कर रहा था | क्या देखता हूँ कि थोड़ी ही दूर सड़क पर एक कार खडी हुई है | अब मैं समझ चुका था , यह वही तेज रफ़्तार कार थी जो कुछ ही देर पहले भोलू की टांग को बुरी तरह से कुचलती हुई आगे निकल गयी थी | गाड़ी में बैठा नवयुवक, अन्दर से ही रियर- व्यू मिरर से अपनी करनी का नतीजा देख रहा था | पता नहीं कैसा इंसान था, इतनी मानवता भी नहीं थी कि कम से कम गाडी से नीचे उतर कर उस रोते हुए बेजुबान निरीह प्राणी को एक नज़र देख तो लेता | कुछ ही देर में उसने अपनी गाड़ी स्टार्ट की और चलता बना | 

भोलू का अब भी रो-रो कर बुरा हाल हो रहा था | कुछ देर बाद बेचारे ने अपनी हिम्मत जुटाई और अपने तीन टांगों के सहारे से ही सड़क के किनारे एक पेड़ की छाँह तक पहुंचा और निढाल हो कर एक तरह से बेहोश हो कर पड़ गया | अभी तक मैं भी उसे उठाने की कोशिश नहीं कर रहा था और उससे पहले लगी चोट का जायजा लेना चाह रहा था | भाग्यवश भोलू को बाहर से खून नहीं निकला था पर पैर में शायद अंदरूनी चोट थी| दोपहर तक भी उस गरीब का वही खराब हाल था | अब सोचा इसे किसी डाक्टर को दिखा देता हूँ , पर मेरे घर के पास का डाक्टर तो साहबों के कीमती कुत्तों का डाक्टर था और उसकी मोटी ताज़ी फीस भी मुझ रिटायर्ड आदमी की पहुँच से बाहर | एक और एन.जी.ओ. डिस्पेंसरी का पता चला जो काफी हद तक ठीक –ठाक थी| दोपहर को उस अस्पताल में भोलू को लेकर पहुंचा | डाक्टर ने मुआयना करके दो इंजेक्शन लगा दिए और कहा इससे ही आराम आ जाना चाहिए | अब भोलू को वापिस ले आया | बेचारे का दर्द दो दिन के बाद भी वैसा ही | फिर से उसी अस्पताल में भोलू को ले कर गया | इस बार डाक्टर ने भी मेरे आग्रह करने पर और ज्यादा ध्यान से मुआयना किया क्योंकि मैं उसे इस बार भी भुगतान करने का आश्वासन भी दे चुका था | पता चला भोलू के पाँव में फ्रेक्चर था | अब उस फ्रेक्चर पर बाकायदा प्लास्टर चढ़ाया गया | उस पूरे समय भोलू बेचारा दर्द से चीखें मारता रहा | खैर .... जैसे- तैसे प्लास्टर करवा कर वापिस घर आया | तौलिये में लिपटे भोलू को देखते ही उसकी सारी दोस्तों की मंडली ने खुश होकर घेर लिया और उसकी माँ की खुशी का तो मानो कोई ठिकाना ही नहीं था | मेरे घर में भोलू ज्यादा देर नहीं रुका | उसके दोस्त गेट के बाहर से ही शोर मचा-मचा कर मानों पूछ रहे हों – हाल कैसा है जनाब का |आखिर घर के बाहर पार्क में बने उसके पुराने अड्डे पर उसे छोड़ दिया | प्लास्टर बंधी टांग से पहले दिन तो भोलू परेशान रहा पर अगले दिन से उसे काफी हद तक आराम मिला | उसके दोस्त अब आस-पास ही घूमते रहते हैं जिससे भोलू का मन भी लगा रहता है | आइये आप को भोलू के दर्शन भी करवा देता हूँ :
भोलू का बेड रेस्ट 


दोस्त मेरे साथ है - अब पहले से कुछ आराम है 

अब अगर आराम है तो थोडा घूमने में क्या बुराई है 
मेरी आप सभी से केवल एक गुजारिश है : जब कभी भी अपनी गाड़ी में बैठें, उससे पहले एक बारगी नीचे झाँक कर अवश्य देख लें कहीं कोई बेसहारा कुत्ता, गर्मी से बचने के लिए , छांह की आस में , उसके नीचे तो नहीं बैठा | हम सब इंसान हैं इसलिए सड़क पर गाड़ी भी इंसानों की तरह से ही चलायें जिससे किसी को भी चोट न लगे – चाहे वह इंसान हो या जानवर | अगर आप को ध्यान हो , केरी की दर्दनाक मौत भी स्कूल बस की लापरवाही से ही हुई थी | (एक थी केरी -  भाग 2 )
अब तो मुझे बस इंतज़ार है जब चालीस दिनों के बाद भोलू के पाँव का प्लास्टर कटेगा | मैं उसके पाँव के ठीक होने की ईश्वर से प्रार्थना कर रहा हूँ और आप भी करिए क्योंकि प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है | जिस दिन भोलू अपने पैरों पर दौड़ेगा मैं आपको वह खुशखबरी भी जरूर दूंगा | आप भी इंतज़ार कीजिए |

12 comments:

  1. Commendable work. Will be fruitful.

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  2. यह तो हम पहले से ही जानते हैं कि आप एक बहुत ही संवेदनशील और मानवता से भरपूर हृदय के स्वामि हैं लेकिन इस संस्मरण ने आपके लिए आदरभाव और बढ़ा दिया है.

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    1. आपकी सदायश भावनाओं के लिए विनम्र धन्यवाद बंधु 🙏

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  3. भोलू की सेवा करने के लिए आपको साधुवाद। आपने सही कहा अपनेपन की भावना मानवों में लुप्त होती जा रही है । हमारी सब की दुआ भोलू के साथ है।
    हमारे घर के सामने एक पिल्ला रहता है। उसका नाम बोन्जी रखा गया है। मेरी नातिन जब भी घर से निकलती है वो कहीं भी हो, चमत्कारिक रूप से प्रकट हो जाता है। और उसकी सायकिल के साथ साथ चलता रहता है। मेरी नातिन भी अपना खाना उसके साथ शेयर करती है

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    1. भोलू के लिए आपकी सदभावना तारीफे काबिल है। ईश्वर आपके जैसी मनोवृति हर इंसान में बनाए रखे तो यह संसार स्वर्ग बन जाए ।

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  4. First that came to mind was the Kery story. Thank God bholu is now feeling better

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    1. Thanks 🙏 it's all due to your prayers n good wishes.

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  5. Commendable work. Will be fruitful.

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  6. ... Excellent humane gesture!!
    We wish Bholu speedy recovery
    God bless!!

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मोहित तिवारी अपने आप में एक जीते जागते दिलचस्प व्यक्तित्व हैं । देश के एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल में कार्यरत हैं । उनके शौक हैं – ...