Friday, 2 August 2019

आया गुस्सा, हुआ बवाल



आज तेरी खैर नहीं 
काफी समय पहले बहुत ही हल्के -फुल्के मूड में एक लेख लिखा था रहिमन गुस्सा कीजिए ... | याद नहीं आ रहा हो तो शीर्षक पर दिए लिंक को क्लिक कर दीजिएगा और फिर से पढ़ कर पुरानी यादें भी ताजा कर लीजिएगा | उस लेख में क्रोध अर्थात गुस्से की तरह -तरह की किस्में बतायी गयीं थी और साथ ही साथ गुस्सा करने के फायदे, जी हाँ आपने ठीक सुना, गुस्सा करने से होने वाले लाभ बताये गए थे | चलिए वह सब तो बातें हँसी -मज़ाक की थीं पर आज सच में जो आपको बताने जा रहा हूँ वह पूरी तरह से गंभीरता से कह रहा हूँ | हो सकता है यही बातें आपने दूसरे लोगों से भी किसी और शब्दों या रूप में सुनी हों | जो भी हो, पर बात काम की और समझदारी से भरी है | वैसे सच में अगर देखा जाए तो , गुस्सा करने के नुकसान ही नुकसान हैं | यह आपको कहीं का भी नहीं छोड़ता| 



क्रोध , गुस्सा, आवेश, जैसे शब्दों से हम क्या अनुमान लगाते हैं ? ये बहुत स्पष्ट है कि ऐसे शब्द हमारे मन की उस अवस्था को बताते हैं, जहां हम आपा खो चुके होते हैं। हमारी बुद्धि-विवेक का ह्रास हो जाता है और हम मन के पूरी तरह नियंत्रण में आ जाते हैं। ऐसे में अक्सर आपा खो बैठने की हालत हो जाती है और अंत में पश्चाताप के अतिरिक्त कुछ भी हाथ नहीं लगता है।



वास्तव में  यह एक दयनीय अवस्था होती है, जहां हम दूसरे को दुःख तो पहुंचाते ही हैं लेकिन इससे बुरी बात ये है कि इसमें अंतिम रूप से हमारी ही हानि होती है । व्यवहारिक जीवन में इससे बड़ा दुःख और कुछ नहीं हो सकता कि क्रोध की अवस्था में हम दूसरे को दुःख पहुंचाना चाहते हैं किंतु इसमें हम स्वयं के लिए बहुत से कष्टों को आमंत्रण दे बैठते हैं । 


मानसिक संतुलन का इस तरह बिगड़ना किस हद तक ठीक है? ऐसी अवस्था चिंताजनक होती हैं। बुद्धिमान व्यक्ति वह होता है जो दूसरों की गलतियों से सीख लेता है और स्वयं को आने वाली मुसीबतों से बचाता है | हमारी अनेक पौराणिक कहानियाँ और इतिहास के किस्से ऐसी बहुत सारी घटनाओं से भरे पड़े हैं जब क्रोध से वशीभूत होकर ऐसे निर्णय लिए गए जिनपर बाद में पछताना पड़ा | ऋषि दुर्वासा और विश्वामित्र जी के क्रोध से तो सभी परिचित हैं और इनका क्रोध ही कई बार अत्यंत विनाशकारी परिस्थितियों का कारण बना | 
आज के समय में हर व्यक्ति आपाधापी और तनाव भरा जीवन जी रहा है | इसी तनाव के कारण उसमें सयंम और विनम्रता के गुण धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं | सुबह के समाचारपत्र तरह –तरह के अपराध जगत के समाचारों से भरे पड़े होते हैं जब क्रोध के कारण बिना सोचे समझे हत्या, मारपीट जैसे जघन्य अपराध तक हो जाते हैं | भीड़-भाड़ भरी सड़क पर कार चलाते समय किसी दूसरे की गाड़ी हलके से छू भर जाने से ही हम क्रोध में अपने होश खो बैठते हैं और लड़ने मरने पर उतारू हो जाते हैं | 
क्रोध हमारी वो मनोदशा है जो हमारे विवेक को नष्ट कर देती है और जीत के नजदीक पहुँच कर भी जीत के सारे दरवाजे बंद कर देती है।क्रोध न सिर्फ हार का दरवाजा खोलता है बल्कि रिश्तों में दरार का भी प्रमुख कारण बन जाता है। लाख अच्छाईयाँ होने के बावजूद भी क्रोधित व्यक्ति के सारे फूल रूपी गुण उसके क्रोध की गर्मी से मुरझा जाते हैं। क्रोध पर विजय पाना आसान तो बिलकुल नहीं है लेकिन उसे कम आसानी से किया जा सकता है, इसलिए अपने क्रोध के मूल कारण को समझें और उसे सुधारने का प्रयत्न करें। अनर्थ कोई नहीं चाहता | अनर्थ होने के बाद पछताने से कोई लाभ नहीं होता है | कहने वाले कह गए हैं : अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत | क्रोध एक दुष्ट राक्षस की तरह है | उसे पहचानिए और अपने ऊपर हावी मत होने दीजिए अन्यथा वह आपको कहीं का भी नहीं छोड़ेगा | इस दुष्ट राक्षस को सयंम और विनम्रता की ढाल से ही जीता जा सकता है | आग को शीतल पानी से ही बुझाया जाता है | क्रोध का उत्तर क्रोध नहीं होता | रेलवे स्टेशनों पर लिखा होता है : सावधानी हटी, दुर्घटना घटी | आज के सन्दर्भ में, इसी बात को थोड़ा सा बदल कर इस तरह से भी कहा जा सकता है : 

                    आया गुस्सा , हुआ बवाल  |

9 comments:

  1. Vyavastha ke status quo ko todne ke liye guess paalna bhi avashyak hai.

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपने बिल्कुल ठीक कहा । अगर समय मिले तो इसी लेख में दिए एक लिंक पर एक अन्य किस्सा भी पढ़ लीजिएगा - रहिमन गुस्सा कीजिए । आपके कथन के समर्थन में ही वह लेख है । भाई हम तो थाली के बैंगन हैं। जो पसंद है आपको व लिख देते हैं 😀😀😀

      Delete
  2. Apki choti choti kahaniyan, tajurbe aur mulyon ka mishran hoti hai, mujhe asha hai, apki lekhani bade kadam bhi uthayegi Jo ki pathakon ke liye ananddayee hongi.

    ReplyDelete
  3. बिल्कुल सही। शराब ओर गुस्सा अगर ज्यादा हो तो परिणाम हानिकारक ही होते हैं।

    ReplyDelete
  4. Bohut hi Kamal ka lekh hai....yu toh gussa anubhavo ke sath apne aap cum hota jata hai....sirf gusse wale pal per chup ho jaye....or us se bhee mushkil ki musukra jaye.....toh sab musibte aapne aap shaant ho jaye....gussa aapka dimaag kharab karta hai, phir juban kharab phir aapki image kharab or phir mansik roop se pareshan or embarrassment..... Health toh kharab honi hi hai.....toh gusse wale pal mai chup hokar muskurakar toh dekhiye

    ReplyDelete
  5. Beautifully written. U need anger some time in a limited way but according to facts and circumstances of a particular matter.

    ReplyDelete
  6. बहुत ही अच्छा लेख ।गुस्सा करना सभी के लिए हानिकारक है । क्षणिक गुस्सा तो फिर भी कुछ हद तक जायज है लेकिन उस गुस्से को लंबे समय तक दिल में रखना ज्यादा हानिकारक है।
    (हेमलता कौशिक)

    ReplyDelete
  7. काम, क्रोध, मोह, अहंकार,लोभ जिंदगी को आगे चलाने वाले स्त्रोत हैं, अर्थात ईंधन की तरह हैं, इसलिए इनमें से किसी की भी अधिकता असंतुलन कर देगी।
    किन्तु इन तथ्यों का प्रयोग न हो ऐसा होना असम्भव है, सांप संयमित रहेगा तब भी लोग उसके दिखने पर उसे मारेंगे, अपने बचाव के लिए उसे डसना ही पड़ेगा, इसे क्रोध माना जाए या बचाव यह मुश्किल है।

    ReplyDelete