Thursday 9 May 2019

दुआएं बेजुबान की

जीव- जंतुओं की दुनिया भी एक अलग ही मनोहारी दुनिया है | पर इसका आनंद भी हर किसी के भाग्य में नहीं होता | इसका मज़ा भी वही ले सकता है जिसके दिल में भावनाएं हैं , संवेदनशीलता है और जो इस बात को समझता है कि इन बेजुबान जानवरों में भी वही जीव बसता है जो खुद उनके अंदर भी है | बस एक बार अपने अंदर यह एहसास जगा कर देखिए और फिर आपको लगेगा जैसे आपने अपने लिए एक नयी दुनिया के कपाट खोल लिए जिसमें इंसान तो हैं ही , इसके अलावा आपके दोस्तों की लिस्ट में नए जीव-जंतु भी जुड़ गए | इन नए दोस्तों में आपके घर के आँगन में बैठने वाले परिंदे भी हो सकते हैं , कमरे में बोतल में लगा मनी-प्लांट का पौधा भी हो सकता है और सामने की गली में आपको अक्सर देखकर दुम हिलाने वाला कुत्ता भी हो सकता है | बस सवाल है मन के तार का जो जब भी झंकृत हो उठे और आप उस अजनबी जीव से एक दिल का रिश्ता कायम कर बैठें | आपमें से कुछ को मेरी बातें शायद ऊलजलूल और बेसिरपैर की लगें पर भाई मेरे मैं तो जो भी कह रहा हूँ अपने अनुभव की ही कह रहा हूँ | सारी ज़िंदगी भाग-दौड़ में कटी, उस हिमालयन कार रैली में भाग लेने वाले ड्राइवर की तरह जिसकी नज़र रही सिर्फ और सिर्फ सड़क पर और मंजिल पर पहुँचने की जल्दी में जो आस-पास के खूबसूरत कुदरत के नजारों से बिलकुल अनजान रहा | रिटायमेंट के बाद अब समय की कोई कमीं नहीं, भाग-दौड़ की दुनिया से छुट्टी मिली और आराम-चैन के वतन में प्रवेश हुआ | अब वह दुनिया है जिसमें मेरे इर्द-गिर्द हैं कुछ चुनिन्दा दोस्त, सीमित परिवार , गिने-चुने बंधु-बांधव और भगवान की दुनिया का जीव-जंतु जगत | इसे कुछ यूँ भी समझ सकते हैं कि हर फालतू सामान से निजात क्योंकि अगर सफ़र का असली मज़ा लेना है तो अपने साथ सामान कम रखिए | तो ज़िंदगी के इस नए सफ़र में कई ऐसे लोगों से मुलाक़ात हुई जो लगता है इस दुनिया के हो कर भी मानों यहाँ के नहीं हैं | उनकी सोच सबसे हट कर है, उनके विचार अनोखे और दुनियादारी से बिलकुल अलग | इन लोगों से थोड़ी सी बातचीत भी रेगिस्तान में ठंडी और ताजी हवा के झोके का एहसास दे जाता है | अभी पिछले दिनों हालात कुछ ऐसे बने कि दीनो-दुनिया से अलग एक निहायत भले मानस से मुलाक़ात हो गयी |

दरअसल मेरे घर के मेनगेट पर गली के छोटे-बड़े कुत्तों का एक तरह से सदाबहार जमावड़ा लगा रहता है | शायद उन्हें भी इस बात का एहसास है कि इस घर में रहने वाला एक शख्स उन्हीं की तरह से ठलुआ है – मतलब बिना पोर्टफोलियो का मिनिस्टर |

सुबह-सवेरे की गेट मीटिंग  😂
कुछ अड़ोसी-पड़ोसियों के लिए ये शैतान आतंकवादी परेशानियों का कारण भी बनते रहते हैं | कभी किसी सड़क चलते राहगीर को दौड़ा दिया तो कभी किसी को काट खाया | रात को भौंक-भौंक कर इतना शोर मचा देते हैं मानो हवाई हमले का साइरन बज रहा हो | समय-समय पर इनकी शिकायतें भी मिलती रहती हैं पर मैं भी ठहरा अव्वल नंबर का ढीठ , उस अमरीका की तरह जो इजराइल की सब शरारते जान कर भी अनजान बना रहता है | सच कहूँ तो ये सारे मेरे मुंह –लगे बदमाश दोस्त हैं | सुबह शाम जब घर के सामने के पार्क में घूमने निकलता हूँ तो ये सारे कमबख्त भी जाने कहाँ से ऐन उसी वक्त टपक पड़ते हैं और मुझे घेर लेते हैं | 
पार्क में मस्ती 
पहले से ही कुछ की आँखों की किरकिरी बना मैं, अब और अटपटे हालात में आ जाता हूँ | इनके खाने-पीने का थोडा बहुत इंतजाम नियमित रूप से होता रहता है | कभी कोई शरारती इधर-उधर से पिट-पिटा कर या चोट खा कर आ जाता है तो उनकी दवा-पट्टी भी हो ही जाती है| पहले उन्हें आस-पास के डाक्टर के पास ले जाने में मेरी जेब का खासा दिवाला निकल जाता था | उन डाक्टरों को भी तो आखिर अपना परिवार पालना था | पर आखिर नोएडा की ही एक समाज सेवी संस्था का पता चला | नाम है सोसाइटी फॉर प्रीवेंशन आफ क्रुएल्टी टू एनीमल्स (SPCA )| मुझे सबसे अचम्भे की बात यह लगी कि इसमें काम करने वाला एक शख्स इतनी मेहनत, समर्पण और निष्ठा से अपना काम करता है जो कि आज के समय में कम ही देखने में नज़र आता है | इस प्यारे से इंसान का नाम है जितेन्द्र कुमार उर्फ़ जीतू | जीतू, एस.पी. सी. ए की एम्बुलेंस में ड्यूटी पर तैनात रहते हैं | 
जितेन्द्र कुमार : मैं और मेरी दुनिया  
जानवरों से इन्हें दिल से हद दर्जे का प्यार है | यही वजह है कि सुबह सवेरे से लेकर देर रात तक अपने काम में जुटे रहते हैं | इतने व्यस्त रहते हैं कि इनके बारे में , जितनी जानकारी में जुटाना चाहता था वह भी इन्हें बताने का वक्त नहीं | अभी कुछ दिनों पहले एक और छोटे से पिल्ले- कालू की टांग बुरी तरह से उसी प्रकार घायल हो गयी जैसे भोलू की हुई थी | ऐसे वक्त में इन्ही जीतू ने बिना कोई प्लास्टर बांधे, केवल कुछ इंजेक्शन और पट्टियों के सहारे कालू को भला चंगा कर दिया |
कालू की टूटी टांग का इलाज 
आज की दुनिया का दस्तूर देखते हुए जीतू अगर चाहता तो इस काम के मेरे से पैसे भी मांग सकता था , पर उसने यह सब निस्वार्थ सेवा भाव से खुशी-खुशी किया | जीतू ने बताया कि इलाज करने के दौरान कई बार घायल जानवर उन्हें चोट भी पहुंचा चुके हैं पर उनकी हिम्मत और प्यार में कोई कमीं नहीं आयी | सबसे खतरनाक काम तो तब हो जाता है जब जीतू को पागल कुत्ते को पकड़ना पड़ता है |इस काम के लिए भी उनमें हिम्मत और बहादुरी की कोई कमीं नहीं है | मैं अक्सर सोचता हूँ कि जीतू भाई के पास तो दुआओं का खजाना होगा - उन दुआओं का जो उन्हें उन सब जरूरतमंद, बेसहारा घायल और बीमार जानवरों ने इलाज़ के बाद चंगे हो कर दी होंगीं | मानवता  की तराजू में यह खज़ाना जीतू को दुनिया का सबसे अमीर इंसान बनाता है |   मेरे और मेरे नटखट बदमाश दोस्तों की टीम के लिए जितेन्द्र भाई एक मसीहा की तरह हैं जो हर जरूरत के वक्त अपनी एम्ब्युलेंस और दवाइयों के साथ हाज़िर हो जाते हैं – बिना किसी लोभ के , बिना किसी लालच के | जीव-जंतुओं से उनका भी दिल से रिश्ता है – और रिश्ते का यही तार उन्हें मुझसे भी जोड़ता है | उन्हें मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं |

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