Monday 1 October 2018

चम्पू

इस बार मेरी  छोटी सी  कहानी - मेरी ही ज़ुबानी 

( मेरे घर् का सबसे छोटा और चंचल सदस्य जो अपनी खामोश
आँखों से लगातार मूक याचना करता है कि कभी कुछ मेरे बारे में भी सबको बताओ | यह रचना विशेष रूप से बाल पाठकों के लिए |)

छोटे छोटे हाथ हमारे ,छोटे छोटे कान हैं ,
मम्मी का मैं राज दुलारा, चम्पू मेरा नाम है ।

छोटे छोटे दाँत हमारे,छोटी छोटी मूँछ है ,
बड़ी बड़ी सी आँख हमारी, लम्बी लेकिन पूँछ है ।

मटर, जलेबी, कढ़ी टमाटर, बड़े चाव से खाता हूँ ,
पोने दस जब बज जाते , फिर पार्क घूमने जाता हूँ ।

कालू, शन्नो , चंचल कट्टो सारे मेरे यार हैं ,
अम्माँ ,पप्पा, मम्मी, साँची सबसे मुझको प्यार है ।

सुबह सवेरे ही उठ कर , मैं सरपट दौड़ लगाता हूँ ,
पेपर वाले से लेकर ,अख़बार उठा कर लाता हूँ।

पेपर ले ख़ुश होते पापा, बिस्कुट मुझे खिलाते हैं ,
फिर जाकर अम्माँ के कमरे , मुझको पास बिठाते  हैं|

सुबह सुबह साँची दीदी जब दफ़्तर को जाती है,
मौज मेरी आजाती जब गाड़ी में सैर कराती है ।

अम्मा जब जाती आँगन में, मैं भी पीछे जाता हूँ ,
नहीं छोड़ता उन्हें अकेला, धरना वहीं लगाता हूँ ।

नन्हू भैया छत पर रहते, मैं भी ऊपर जाता हूँ ,
खेल कूद कर लेकिन भैया वापस नीचे आता हूँ ।


सेम , सुक्कू , संजू मामा जब मेरे घर आते हैं,
मुझे देख सारे ख़ुश होते, प्यार से पास बुलाते हैं ।


दो महीने में एकबार नाना के घर भी जाता हूं,
नानी और मामा - मामी को अपना खेल दिखाता हूँ


नाना के घर दौड़ लगाकर उधम खूब मचाता हूं ।
चारु मामी जो माल बनाती झटपट चट कर जाता हूँ ।

सारे सुनलो कान खोलकर  , प्यार सभी से करता हूँ ,
बेवजहा तुम नहीं छेड़ना , नहीं किसी से डरता हूँ ।
   



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