Tuesday, 27 September 2022

अजनबी दोस्त

प्रेम एक ऐसा गूढ विषय है जिस पर अनेक दार्शनिक, उपदेशक, धर्मगुरु अपने-अपने दृष्टिकोण से व्याखा करते हैं । अपनों को तो सभी स्नेह और प्यार करते हैं, मेरे विचार से असली प्रेम तो वही है जब बिना किसी आशा के किसी अजनबी की भी आप मुसीबत में सहायता करते हैं । अगर हम किसी दिन एक भी इंसान के चेहरे पर मुस्कान ला सकें या किसी अजनबी के दिल को जीत सकें तो वही दिन हमारा जीवन सफल करने के लिए पर्याप्त है । इसके लिए आवश्यक नहीं कि कोई लंबी-चौड़ी योजना बनाई जाए या खजाना लुटाना पड़े । सड़क चलते किसी बुजुर्ग को सड़क पार करा दें , बस में किसी विकलांग को अपनी सीट दे दें, किसी रोते हुए बच्चे के साथ बच्चा बन कर उसके चेहरे पर मुस्कराहट ला दें, इतना ही बहुत है । यही है सच्चे प्यार की भावना ।

बात है वर्ष 2007 की जब मेरी पोस्टिंग भारत सरकार के संस्थान के दिल्ली स्थित मुख्यालय में थी । सूचना मिली कि मेरा बोरिया-बिस्तर देहरादून के लिए बांधने हेतु तबादला आदेश जारी हो चुका है । मन में कई तरह के विचार उठे – कुछ अच्छे तो कुछ कष्ट दायक । अच्छी मनमोहक जगह जाने की खुशी एक तरफ़ तो परिवार को साथ नहीं ले जा पाऊँगा इसकी वेदना दूसरी ओर । अगले लगभग 6 वर्षों तक मेरा निवास देहरादून में रहा । इस दौरान उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में काफी आना-जाना लगा रहा और अनगिनत लोगों के गहन संपर्क में आया। उन अनुभवों की यादें आज तक मेरे दिलोदिमाग पर ताज़ा हैं।

आपको प्रसन्न रखने के लिए मुख्य रूप से दो कारक महत्वपूर्ण हैं – पहला आसपास का वातावरण और दूसरा जनमानस । उत्तराखंड में यह दोनों ही प्रचुर मात्रा में आपका दिल मोहने के लिए मौजूद हैं । इस जगह को देवभूमि इसीलिए तो कहा जाता है कि इस पावनभूमि में निवास करने वालों में देव-स्वभाव आज भी मौजूद है। इस संबंध में अपने साथ घटा एक रोचक किस्सा आपको सुनाता हूँ ।
अजनबी दोस्त 

देहरादून में मेरा ऑफिस राजपुर रोड पर सेंट जोजफ़ स्कूल के सामने था । अपनी गाड़ी वहीं सड़क पर पार्क कर दिया करता था । एक दिन शाम के समय ऑफिस से निकल कर घर जाने के लिए निकाला तो देखा कि गाड़ी के ऊपर ट्रेफिक पुलिस का लाल रंग का चालान चिपका था क्योंकि वह नो पार्किंग ज़ोन था । पास से ही गुजरती हुई एक पुलिस की गाड़ी में बैठे सज्जन से मैंने जानकारी मांगी कि इस चालान की राशि को कहाँ जमा करना है। मेरे चेहरे पर उड़ती हवाइयों को देखकर शायद उस पुलिसकर्मी को तरस आ गया। उन्होंने मेरे हाथ से चालान की पर्ची लेकर मेरा पता पूछा और बोले आप चिंता मत करिए, यह काम आप मेरे पर छोड़ दीजिए। जब तक मैं कुछ सोचता तब तक वह पुलिस की गाड़ी आगे बढ़ चुकी थी ।

अगले दो-तीन दिन यूं ही गुजर गए । ऑफिस के कमरे में बैठा हुआ कुछ काम निपटा रहा था कि अचानक वही पुलिस वाले सज्जन कमरे में दाखिल हुए। सामने कुर्सी पर बैठते हुए बोले – “यह थामिए कौशिक जी अपने चालान की रसीद।” कुछ देर तक आपस में आत्मीयता भरी बातचीत के बाद जब वह चलने लगे तो मैंने आभार प्रकट करते हुए चालान राशि को उनके हाथ में थमाने का यत्न किया। मेरे आश्चर्य की सीमा न रही जब उन्होंने उस राशि को वापिस मेरी मेज पर रखते हुए कहा – कौशिक जी, आप क्या सोचते हैं मैं आपके पास यह रुपए लेने आया हूँ ।आप मुझे अच्छे लगे और मेरी इच्छा केवल आपके पास बैठ कर एक प्याला चाय पीने की थी जो पूरी हो चुकी है। मैं पूरी तरह से निरुत्तर और हतप्रभ था । उस अजनबी इंसान की बात मेरे दिल को अंदर तक छू गई । उस व्यक्ति से मेरी फिर कभी मुलाकात नहीं हुई।
वह पुलिस विभाग जिसकी कठोरता, बेईमानी, भ्रष्टाचार और निरंकुशता के किस्से एक सामान्य बात है, वहाँ के कर्मचारी का ऐसे संवेदनशील रूप में दर्शन आपको केवल देवभूमि में ही हो सकते हैं जहाँ इंसानों के रूप मे भी देवता बसते हैं । यही तो है प्रेम की महिमा जहाँ अजनबी भी यादों में बस जाते हैं ।

14 comments:

  1. too good sir impressive

    ReplyDelete
  2. Achcha sochane walaun ke saath achcha hi hota hai.

    ReplyDelete
  3. AWESOME and unforgettable.

    ReplyDelete
  4. ऐसे लोगों की वजह से ही तो इंसानियत जिंदा है।

    ReplyDelete
  5. परोपकार ही शायद मानवता का दूसरा नाम है। भले लोगों की यादें सच में दीर्घ काल तक भुलाए नहीं भुलतीं। ईश्वर सब में ऐसी ही अच्छी भावनाएं बनाए रखे।

    ReplyDelete
  6. It is rarest thing that a police person behaved so differently , Which is just reverse of their public image, may be Mukesh bhai your smartness might have influenced him soo much , bhumi koi si bhi ho police to police hoti he. This thing must left deep impression on your mind, I m also highly amused to read it . Keep sharing such nostalgic moments.🎉🍫

    ReplyDelete
  7. हां एकदम सही ऐसे ही इंसानों से दुनिया चल रही है और ये भी सही है आप जैसे हैं आपको भी वैसे लोग मिल ही जायेंगे।

    ReplyDelete
  8. In every organization you will find both persons either good or bad. It is your good luck that at the time of your need you got such a beautiful person. Good deeds always pay.

    ReplyDelete
  9. Likhna ki kele me mahir hai aap .

    ReplyDelete
  10. आपकी लेखनी में सच में जादू है जो पाठकों को शुरू से अंत तक बांधे रखती है। सरल भाषा में रोचकता का पुट लाना हर किसी के बूते की बात नहीं।

    ReplyDelete
  11. आज के समय में ऐसी सकारात्मक घटनाओं को सबके सामने लाना बहुत आवश्यक है । इसके लिए धन्यवाद भैया । कर भला ,तो हो भला ।

    ReplyDelete
  12. दोनों लेख आपने अति सुंदर बहुत ही अच्छी तरह से लिखे हैं और बहुत ही सटीक बैठते हैं सभी पुलिसवाले भी कहीं एक की तरह के नहीं होते हैं बहुत अच्छे भी होते हैं और कुछ रिश्वतखोर भी होते हैं जो कि सब कुछ बताने के बाद भी रिश्वत लिए बगैर मानती ही नहीं है चाहे उसकी गलती हो या ना हो इन आपने बहुत ही अच्छा और सुंदर लेख लिखा है नमस्कार सर 🙏🙏💐

    ReplyDelete
  13. बहुत बढ़िया लेख , आप के मासूम हस्ते चेहरे ने लगता है पुलिस वाले का दिल जीत लिया, वैसे कहते है पुलिस वालों से न दोस्ती अछि न दुश्मनी, आप का किस्सा देवभूमि पुलिस वाले से है, आप खुशकिस्मत है

    ReplyDelete
  14. Abhishek bhi dev tulya purush mojud hen. Manavta yahi he. Rochak vratant.

    ReplyDelete